संदीप कुमार मिश्र: एक के बाद एक लगातार प्रचंड जीत हासील कर बीजेपी
लगातार अपना जनाधार बढ़ा रही है।तकरिबन देश के आधे भूभाग पर बीजेपी की सरकारे
हैं।सियासत और दिल्ली की सत्ता का रास्ता जिस प्रदेश से होकर जाता है उसे उत्तर
प्रदेश कहते है,2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में भी बीदेपी
ने देश की आजादी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल कर विपक्ष को करीब करीब
खत्म ही कर दिया है।2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से बीजेपी ने जात
धर्म पंथ और भेदभाव की दीवार को तोड़कर पूर्ण बहुमत हासिल किया था यकिनन 3 साल बाद
लोकतंत्र के अर्ध कुंभ में उसकी पूनर्रावृति कर अपने जनाधार को निरंतर आगे बढ़ाया
है और जनता के विश्वास को कायम रखा है।वास्तव में लोकतंत्र के लिए ये एक शुभ संकेत
है।
ये जीत इतनी आसान
नहीं थी।अब जरा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के बारे में कुछ आंकड़े भी जान
लें...लगभग 10 करोड़ से ज्यादा बीजेपी के सक्रिय सदस्य।
55 लाख 20 हजार से ज्यादा स्वयंसेवक,और देश भर में 56 हजार 859 शाखायें। वहीं 28
हजार 500 विद्यामंदिर।जिसमें पढ़ाने वाले 2 लाख 20 हजार आचार्य और पढ़ने वाले 48
लाख 59 हजार छात्र । इतना ही नहीं 83 लाख 18 हजार के लगभग मजदूर बीएमएस के सदस्य। 589 प्रकाशन सदस्य,4 हजार पूर्ण कालिक सदस्य,एक लाख पूर्वसैनिक
परिषद, 6 लाख 85 हजार वीएचपी-बंजरंग दल के सदस्य हैं। ये आंकड़े कम या ज्यादा हो
सकते हैं,लेकिन देश भक्ति की विचारधारा को जनमानस तक पहुंचाने के लिए सवा सौ करोड़
के देश में मायने तो रखते ही हैं।
कहने
का मतलब है कि सवा सौ करोड़ के देश में सामाजिक और सांगठनिक तौर पर राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के अनगिनत संगठन और भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी का राजनीतिक
विस्तार किस रुप में हो चुका है, हम
सहज ही समझ सकते हैं। यकिनन यही वजह है कि सियासत में सत्ता पाने के लिए जिस सामाजिक
सांगठनिक हुनर की आवश्यकता होती है वो बीजेपी के अलावा देश के किसी अन्य पार्टी
में नहीं है।स्वाभाविक है कोई दूसरा राजनीतिक दल संघ-बीजेपी के इस विस्तार के आगे कैसे
टिक पाएगा।
बहरहाल
कहना गलत नहीं होगा कि संयम, संघर्ष और साफ नियत की ही देन है कि देश के 13 राज्यों में बीजेपी की अपने बलबूते
सरकार है।वहीं 4 राज्यों में गठबंधन की सरकार है। जिसका
परिणाम है कि मौजूदा वक्त में सिर्फ बीजेपी के 1489 विधायक हैं तो संसद में 283
सांसद हैं। अंतत: देश की सभी सियासी दलों और जनमानस के मन में भी ये सवाल स्वाभाविक
तौर पर आ सकता है कि संघ-बीजेपी का ये विस्तार देश के 17 राज्यो में जब अपनी पैठ जमा चुका हो
तो फिर आने वाले समय में कर्नाटक-तमिलनाडु और केरल यानी दक्षिण भारत का रास्ता
नापने में बीजेपी कितना वक्त लगाएगी।।।
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