Wednesday 22 March 2017

ये देश राम का है


संदीप कुमार मिश्र: समय का चक्र निरंतर चलता रहता है,स्थितियां,परिस्थितियां बनती और बिगड़ती रहती है।लेकिन राम करोड़ो-करोड़ो जनमानस के आस्था और विश्वास का केंद्र बिन्दु हैं। संपूर्ण मानव जाति मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को अनुसरण करती है।जिससे मोहरुपी संसार में रहते हुए भी धर्म-संस्कृति-सभ्यता की रक्षा की जा सके।क्योंकि 21वीं सदी के इस संसार में सब कुछ तो है लेकिन विलुप्त हो रही है तो वो है मानवता,संस्कार,आचरण और मर्यादा...क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति हम पर हावी होती जा रही है और हम स्वयं उस रास्ते पर चल पड़े हैं जिसका अंतिम पड़ाव अंधकार रुपी गहरी खाई है,जिससे निकल पाना संभव नहीं,इसलिए आवश्यक है कि अनुसरण और वरण उस विचार का किया जाय जिससे स्वयं संग समाज का उत्थान हो सके,ना कि कार्य ऐसा करें जिससे भविष्य पतन की ओर अग्रसर हो....ऐसे में नि:संदेह अनुसरण और धारण करने योग्य कोई है तो वो हैं प्रभु श्री राम...।यहां कहना जरुरी है-
जय श्री राम
ये देश राम का है,परिवेश राम का है।
अरी का संहार करना आदेश राम का है,
हनुमान ने जब बनाई थी राख सर्व लंका,
तो राम जन्म भू को क्या सोच क्या शंका।
हो राम का मुखातिब और भारती भी हो,
संभव नहीं कभी भी कह दो बजा के डंका,
भारत वसुंधरा क्या ये संसार जानता है,
ये देश अयोध्यापति मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का है।
ऐसे में तनिक भी संदेश किसी भी भारतवासी चाहे वो किसी भी धर्म संप्रदाय का हो उसके मन में नहीं होना चाहिए कि रामलला कहीं और विराजमान होंगे।अवधपति प्रभु श्री राम अवधधाम में अपने जन्मस्थान पर ही विराजमान होंगे।क्योंकि ये सिर्फ जनभावना की बात नहीं,ये तो संस्कृति मर्यादा की भी बात है कि जिस रामराज्य की कल्पना हम करते हैं वो राम जी के बगैर कैसे पूरी हो सकती है।जय श्री राम ।
प्रभु श्रीराम का चरित्र तो मानव जाति के लिए तेजोमय दीप स्तंभ है। वस्तुतः भगवान राम मर्यादा के परमादर्श के रूप में प्रतिष्ठित हैं। श्रीराम सदैव कर्तव्यनिष्ठा के प्रति आस्थावान रहे हैं।उन्होंने कभी भी लोक-मर्यादा के प्रति दौर्बल्य प्रकट नहीं होने दिया।इस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में श्रीराम सर्वत्र व्याप्त हैं -
एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा।
एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा॥
इस प्रकार प्रभु श्रीराम के चार रूप बताए गए हैं-मर्यादा पुरुषोत्तम दशरथ-नंदन, अंतर्यामी, सौपाधिक ईश्वर तथा निर्विशेष ब्रह्म।लेकिन इन सबमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित्र सर्वाधिक पूजनीय है,सर्वोपरि है प्रभु श्री राम का अवतार।


।।जय श्री राम।।

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