Thursday, 13 October 2016

शरद पूर्णिमा- 15 अक्टूबर2016,शनिवार

संदीप कुमार मिश्र : धर्म और आस्था हमारी संस्कृति वो मजबूत नींव है जो हमारी भारतिय सभ्यता को और भी संबृद्ध बनाती है।त्योहारों और परंपराओं का देश है भारत।एक के बाद एक त्योहार हमें निरंतर एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करते हैं।नवरात्र और दशहरा के शुरुआत से ही त्योहारों का सिलसिला शुरु हो जाता है।इन दोनो त्योहार के बाद जो मुख्य त्योहार पड़ता है वो है शरद पूर्णिमा। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर (शनिवार) को देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाएगी। आपको बता दें कि कई वर्षों के बाद इस बार शरद पूर्णिमा और शनिवार का विशेष संयोग बना है। शरीवार को चंद्रमा का पूर्ण दर्शन होने के कारण इसे महापूर्णिमा भी कहा जा रहा है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है।जिससे कि शरद पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है ।
हिन्दू धर्म शास्त्रों ऐसा कहा गया है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने रासलीला की थी।इसलिए शरद पूर्णिमा को रासपूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन के विशेष महत्व के तौर पर आम जनमानस खीर(तस्मई) बनाकर रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में रख ते हैं। जिससे कि उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं और उस खीर का सेवन करने से मनुष्य का मन, मस्तिष्क और शरीर चाजगी और स्फुर्ति से भर जाता है,उत्साह और उमंग की वृद्धि होती है।

शरण पूर्णिमा पर क्या करें
शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए गाय के दूध से खीर बनाकर उसमें घी और चीनी मिलाकर रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में छत पर रख दें।शरद पूर्णिमा के अगले दिन प्रात: इसी खीर का भगवान को भोग लगाकर अपने पूरे परिवार के साथ खीर का सेवन करें।

No comments:

Post a Comment