अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥3॥
भावार्थ:-अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के
प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥3॥
संदीप कुमार मिश्र: मित्रों हनुमान जी
महाराज कलियुग के एकमात्र ऐसे देवता है,जिनकी आराधना,स्मरण से जो भक्तों के सभी
कष्ट पल भर में दूर हो जाते हैं। जरुरत है मनसा वाचा कर्मणा हनुमंत लाल जी महाराज
की महिमा का गुणगान करने की। हमारे सांसारिक और पारलौकिक हर पीड़ा का निदान एक
अद्भूत राम बाण सा है।मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के अतिप्रिय श्री हनुमान जी वास्तव
में अलौकिक और स्नेह सुधा प्रदान करने वाले है।
साथियों भगवान शिव के आठ रूद्रावतारों
में से एक हैं हनुमान जी महाराज। कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी यानी कार्तिक कृष्ण
चतुदर्शी के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम जी महाराज त्रेतायुग में
धर्म की स्थापना करके पृथ्वी से अपने लोक बैकुण्ठ तो चले गये,लेकिन धर्म की रक्षा
के लिए हनुमान जी महाराज को अमरत्व का वरदान दिया।जिस कारण महाबली हनुमान जी महाराज
आज भी जीवित हैं, और अपने सच्चे साधकों को भवसागर से पार लगा रहे हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज को भी हनुमंत
लाल जी महाराज की कृपा से ही राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। एक कथानुसार हनुमान जी
ने तुलसीदास जी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं
वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा जब राम और लक्ष्मण आएंगे। मैं आपको संकेत दे दूंगा।
अंजनी के लाल हनुमान जी के आदेशानुसार तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गये और सभी
आने जाने वालों को चंदन लगाने लगे। प्रभु श्रीरामजी और लखन लाल जी जब आये तो
हनुमान जी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' जब हनुमान जी महाराज के इस प्रकार के वचन तुलसीदास सुने तो स्नेह और भाव वश
विह्वल होकर प्रभु श्रीराम और लखन लाल जी को निहारने लगे।'
हमारे वेद शास्त्रों में ऐसा कहा गया है
कि इस कलिकाल में जहां कहीं भी श्रीराम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य होते
हैं। इसलिए हनुमान जी महाराज की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे सरल और सुलभ मार्ग
है प्रभु श्री राम की भक्ति।
भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हनुमान जी
रुद्रावतार हैं। माता अंजनी और वानर राज केसरी के लाला हनुमान जी महाराज की महिमा
अनंत है और सर्वदा फलदायी है।चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देश भर में हनुमान
जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।जो कि इस वर्ष अप्रैल के महीने की 22 तारीख को मनाई जाएगी।
आईए जानते हैं कुछ ऐसे अचूक मंत्र,जिनका पाठ करने से अंजनी
के लाल महावीर हनुमान जी महाराज की कृपा हम पर बरसने लगती है-
हनुमान जयंती पर पूजा विधान
हनुमान जयंती के पावन अवसर पर हमें सभी
नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हनुमान
जी की पूजा में ब्रह्मचर्य का साधक को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पवनपुत्र हनुमानजी महाराज का आवाहन करें
श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम् |
आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम् ||
हनुमानजी जी महाराज को आसन दें
नवरत्नमयं दिव्यं चतुरस्त्रमनुत्तमम् |
सौवर्णमासनं तुभ्यं कल्पये कपिनायक ||
हनुमानजी महाराज को पाद्य अर्पित करें
सुवर्णकलशानीतं सुष्ठु वासितमादरात् |
पाद्योः पाद्यमनघं प्रतिफ़गृह्ण प्रसीद मे ||
अंजनी के लाल की पूजा में अर्घ्य समर्पण मंत्र
कुसुमा-क्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपिपुन्गव |
दास्यामि ते अन्जनीपुत्र | स्वमर्घ्यं रत्नसंयुतम् ||
पंचामृत अर्पण मंत्र
मध्वाज्य - क्षीर - दधिभिः सगुडैर्मन्त्रसन्युतैः |
पन्चामृतैः पृथक् स्नानैः सिन्चामि त्वां कपीश्वर ||
हनुमान जी की पूजा करते समय मंत्रों के द्वारा पुष्पमाला अर्पित करें
नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि |
कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वां पूजयामि कपीश्वर ||
हनुमानजी महाराज को सिन्दूर अर्पित करने का मंत्र
दिव्यनागसमुद्भुतं सर्वमंगलारकम् |
तैलाभ्यंगयिष्यामि सिन्दूरं गृह्यतां प्रभो ||
हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़कर ऋतुफल अर्पित करें
फलं नानाविधं स्वादु पक्वं शुद्धं सुशोभितम् |
समर्पितं मया देव गृह्यतां कपिनायक ||
हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ कर सुवर्णपुष्प अर्पित करें
वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम् |
पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न - समुज्जलम् ||
डर या भूत आदि की समस्या दूर करने का मंत्र
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।
शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए मंत्र
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
रक्षा और लाभ प्राप्ती का मंत्र
अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।
मुकदमे में विजय प्राप्ती का मंत्र
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
धन-सम्पत्ति प्राप्ति के लिए मंत्र
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन ।
शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो।।
किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए मंत्र
ॐ हनुमते नमः
सभी प्रकार के रोग और पीड़ा से मुक्ति हेतु मंत्र
हनुमान अंगद रन गाजे।
हांके सुनकृत रजनीचर भाजे।।
नासे रोग हरैं सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।।
हनुमान जी को प्रसन्न करने हेतु मंत्र
सुमिरि पवन सुत पावन नामू।
अपने बस करि राखे रामू।।
हनुमानजी की पूजा के दौरान क्षमा-प्रार्थना मंत्र
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||