Tuesday 12 January 2016

आतंकियों को घुसकर मारने में भारत को क्या है अड़चन..?


संदीप कुमार मिश्र: जब भी हम आतंकियो को मारने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हमारे जहन में ख्याल यही आएगा कि क्या हम ओसामा जैसा ऑपरेशन कर सकते हैं ?आखिर ऐसा क्या था जो अमेरिका ने मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा।और ऐसा क्या है जो भारत को रोकता है...?

दरअसल बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर पल भर के लिए हम ये मान भी लें कि अगर आतंकवाद को नेस्तनाबूत करने के लिए अमेरिका भारत को सीमा पार स्थित आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने की सलाह दे भी देता है तो क्या हिन्दुस्तान कभी ओसामा जैसा ऑपरेशन चलाकर आतंकियों को खत्म कर सकता है?क्या ये संभव है...?

दोस्तों जिस प्रकार से पठानकोट एयरबेस में आतंकियों ने हमला किया और और इस हमले के तार हर बार की तरह पाकिस्तान से ही मिले हैं।ऐसे में हमारे देश के लिए अमेरिकी की पहली नजर में प्रतिक्रिया निराशाजनक ही रही।वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता जॉर्न किर्बी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कुछ ऐसा संकेत दिया,जिससे भारत के लिए सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का एक उपाय माना जा रहा है।अमेरिका की इस प्रतिक्रिया को किस रुप में लिया जाए आने वाले समय में ये देखने वाली बात होगी।

दरअसल जब 26/11 के दोषियों को सजा दिलाने के संदर्भ में अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन का जिक्र सामने आया तो कई तरह के कयास लगाये जाने लगे कि क्या जिस प्रकार से अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा था,ठीक वैसा ही संकेत वो भारत के लिए दे रहा है कि भारत भी सीमा पार स्थित आतंकी कैंपों को नष्ट करने का विकल्प सुझाया है।ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर अमेरिका खामोसी से भारत को सपोर्ट भी करे तो क्या भारत अमेरिका जैसी कार्यवाही आतंकियों के खिलाफ कर सकता है..?अगर नहीं तो,क्या है मजबूरी,अड़चन और कमजोरी...?

अमेरिकी कमांडोज ने जिस तरह से पाकिस्तान में घुसकर अपने दुश्मन को खत्म किया,ठीक उसी तरह से क्या भारत पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकियों के कैंपों को नष्ट करने या 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन से लेकर पठानकोट हमलों के जिम्मेदार माने जा रहे जैश-ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर जैसे आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए पाकिस्तान में घुसकर इनका काम तमाम कर सकता है। तो शायद हम यही कह सकते हैं कि फिलहाल ऐसी कोई भी संभावना नजर नहीं आती है...जिसे पिछे के कई कारण हो सकते हैं-

 परमाणु सम्पन्न देश हैं भारत-पाकिस्तान
हम सब जानते हैं कि भारत-पाक के बीच हुई पहले की लड़ाईयों में दोनो देश परमाणु समपन्न देश नही थे।लेकिन अब ऐसा नहीं है,दोनो देशों ने अपनी अपनी ताकत का विस्तार कर लिया है और दोनो परमाणु सम्पन्न हैं।हम ये भी जानते हैं कि पाक में लोकतंत्र सेना और ISI के हाथ की कठपुतली है।और इन दोनो के ख्यालात भारत के बारे में कैसे रहे हैं ये किसी से छुपा नही हैं।इसलिए हम मान भी लें कि भारत पाक की नापाक सरजमीं पर आतंकियों को मारने के लिए कदम रखता है तो पाकिस्तान खुले तैर पर भारत से युद्ध करेगा और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा।चाहे भले ही उसका वजुद खत्म हो जाए,लेकिन युद्ध से हुए भयंकर नुकसान से भारत भी अछुता नहीं रहेगा।

विश्व समुदाय से खराव होंगे संबंध
दरअसल ये बात हम सब जानते है कि भारत विश्व पटल पर लगातार अपनी शानदार छवी गढ़ रहा है। ऐसे में अगर दोनो देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो भारत को सबसे ज्यादा नाराजगी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की झेलनी पड़ेगी।इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे तमाम बड़े देश भारत के खिलाफ उठ खड़े हो जाएंगे।वहीं दूसरी तरफ सभी बड़े देश भारत पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा सकते हैं,जो कहीं ना कहीं भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा।

पाकिस्तान में आतंकी ठिकानो की कोई सटीक जानकारी नहीं
भारत को आतंकियों के खिलाफ कोई भी जानकारी करने में सबसे बड़ी अड़चन आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी का ना होना है। दरअसल 26/11 हमले के बाद लगातार आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारने की जोरदार मांग उठी थी।लेकिन सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की,वजह साफ थी आतंकियों के ठिकानों की सटीक जानकारी ना होना।

भारत और पाकिस्तान से अमेरिका से संबंध अलग-अलग
ये बात जगजाहीर है कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद अमेरिका करता है।वहीं इस बात को भी हम सब जानते हैं कि विश्व का सबसे ज्यादा ताकतवर देश भी अमेरिका ही है। पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध भारत से अच्छे हैं और शायद यही वजह है कि अमेरिका पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर आसानी से मार पाया और पाकिस्तान विरोध भी ना कर सका।

पाकिस्तान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी
अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के खिलाफ कार्यवाई करने आसानी होने का एक और सबसे मुख्य कारण था,वो ये कि पाकिस्तान में अमेरिका सेना के तीन एयरबेस हैं। यानी अमेरिकी सेना की मौजूदगी पाकिस्तान में जमीन से लेकर आकाश तक थी और है।लेकिन भारत के पास ऐसा कोई मजबूत आधार नहीं हैं।

अंतत: भारत को पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों तक पहुंचने के लिए बड़ी ठोस रणनीति, ठिकानों की सटीक जानकारी के साथ साथ भविष्य के बारे में सोचना पड़ रहा है,और शायद यही वजह कि पठानकोट आतंकी हमले के बाद से जब एक बार फिर देश में सीमा पार स्थित आतंकियों को खत्म करने की मांग उठ रही है तो भारत को बहुत कुछ सोचना पड़ रहा है।

खैर एक बात और यहां हमें और आतंकियों के आकाओं के लिए भी जानना जरुरी है कि भारत जब तक शांत है,तब तक है,लेकिन जब हद पार हो जाएगी तब पता भी नहीं चलेगा कि कैसे और कब आतंक की जड़ नष्ट हो गई। 

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