Thursday 17 December 2015

तीर्थ ऐसे भी जहां महिलाओं का प्रवेश निषेध


संदीप कुमार मिश्र : दोस्तों आपको सुनने में जरा अटपटा जरुर लगेगा लेकिन सच है कि देस में तमाम ऐसे मंदिर मठ और मस्जिद हैं जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।जिसके पिछे तमाम पौराणीक और धार्मिक मान्यताएं हैं।

                  अहमदनगर का शनि शिंगनापुर मंदिर
आपको याद होगा अभी हाल फिलहाल में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगनापुर गांव में प्रसिद्ध शनि मंदिर में एक महिला के पूजन कर लिया था जिसके बाद मंदिर की व्यवस्था में लगे लोगों ने खुब हंगामा किया था और 7 सुरक्षाकर्मीयों को भी निलंबीत कर दिया था।ऐसा करने वाला या फिर महिलाओं को जहां पर जाना मना है ऐसे कई मंदिर हमारे देश में है।

आईए जानते हैं कि हमारे देश में ऐसे कौन कौन से मुख्य मंदिर हैं जहां पर महिलाओं का प्रवेश निषेध है-

हरियाणा के पिहोवा में स्थित भगवान कार्तिकेय मंदिर
पिहोवा में स्थित भगवान कार्तिकेय मंदिर में उनके ब्रह्मचारी स्वरूप की पूजा की जाती है। जिसकी वजह से मंदिर में महिलाओं का प्रवेश निषेध है।कहा जाता है कि जाता है, इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 5वीं सदी ईसापूर्व हुआ था।मान्यताओं के अनुसार अगर कोई भी महिला, इस मंदिर में प्रवेश भी कर ले तो उसे श्राप मिल जाता है।ऐसा कहा जाता हैं कि , ''जब भगवान कार्तिकेय ध्यान कर रहे थे तो देवी इंद्रा को उनसे ईर्ष्या हुई कि ब्रह्मा कहीं उन्हें उनसे ज्यादा शक्तियां ना प्रदान कर दें। इसलिए उन्होंने कार्तिकेय का ध्यान भंग करने के लिए उनके पास खूबसूरत अप्सराएं भेंजी।जिससे भगवान कार्तिकेय नाराज हो गए और श्राप दे दिया कि, ''अगर कोई भी महिला उनके पास उनका ध्यान भंग करने के लिए आती है तो वह पत्थर की हो जाएगी।' इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय ध्यान स्वरुप में ही हैं।'

राजस्थान के रनकपुर का  जैन मंदिर
दोस्तों रनकपुर का जैन मंदिर 5 जैन तीर्थों में से एक कहा जाता है।जो 15 वीं शताब्दी के बना था। कहते हैं कि मासिक धर्म के समय किसी भी महिला का प्रवेश यहां निषेध है। इतना ही नहीं मंदिर में जाने से पहले हर एक महिला को एक जरूरी काम करना होता है।जिसके तहत उन्हें अपनी टांगों को घुटनों के नीचे तक अच्छी तरह से ढंकना कर जाना होता है।



केरल के सबरीमाला का भगवान अय्यप्पा मंदिर
भगवान अय्यप्पा का ध्यान स्थल अय्यप्पा मंदिर।जो केरल राज्य में स्थित है ।इस मंदिर में 12 से 50 साल की लड़कियों और महिलाओं पर रोक है। इसका मुख्य कारण जो बताया जाता है वो ये है कि इस उम्र की महिलाएं मंदिर के अंदर मासिक धर्म कर सकती हैं।ऐसा इसलिए कि भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी हैं।कहते हैं कि जब भगवान अयप्पा से एक जवान लड़की से विवाह करने को कहा गया तो उन्होने अस्विकार दिया। क्योंकि उन्होंने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करने का व्रत लिया था।इस तिर्थस्थान पर विस्व भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं।इस मंदिर में श्रद्धालूओं को प्रवेश करने के लिए कड़े नियमों का पालन करना होता है,जिसके तहत उन्हें पूरे 41 दिन के ब्रह्मचर्य व्रत, अपना खाना खुद पकाने के अलावा कर्मकांडों के दौरान काले या नीले कपड़े पहनना जरूरी है।

छत्तीसगढ़ का मावाली माता मंदिर
मावाली माता मंदिर के पंड़ितों का कहना है कि, एक बार उन्होंने एक पुजारी से सुना कि उन्होंने माता को धरती से पैदा होते देखा है। माता ने बताया कि वह अभी तक अविवाहित हैं। इसलिए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाए। इसलिए पुरुषों को ही मंदिर में जाने की अनुमति है।हालांकि मंदिर ने परिसर में एक अलग से मंदिर में बनाया है जो कि विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही है।


                      महाराष्ट्र के मुंबई का हाजी अली दरगाह
दोस्तों हिन्दू धर्म में ही नहीं मुस्लिम समुदाय में भी भिन्न भिन्न विचारधाराओं के कारण कब्रों और मकबरों पर महिलाओं को जाने  की मनाही है। इसी संबंध में मुंबई की हाजी अली दरगाह के ट्रस्टियों ने मुंबई हाईकोर्ट से अक्टूबर में कहा था, ''पुरुष मुस्लिम संत की कब्र से महिलाओं की करीबी इस्लाम में एक भयंकर पाप है।''


केरल के तिरुवनंतपुरम का श्रीकृष्णा मंदिर
केरल के ही तिरुवनंतपुरम के मलायिनकीझू गांव में स्थित श्री कृष्ण मंदिर में महिलाओं के मुख्य संरचना के पास जाने से मनाही है। इसे नालम्बलम कहा जाता है।इस मंदिर की ये परंपरा सदियों पुरानी है। इसे शुरू करने के पीछे तर्क दिया जाता है कि क्योंकि श्री पद्मानभस्वामी मंदिर के दो पुष्पांजलि स्वामियों ने यहां 6 महीने बिताए थे और ये स्वामी ब्रह्मचारी थे, जिसके बाद से ही ये प्रतिबंध एक परंपरा बन कर रह गया।


असम का पतबाउसी सत्रा
कहते हैं कि 15वीं शताब्दी में संत और दार्शनिक श्रीमाता शंकरदेव ने पतबाउसी सत्रा मंदिर की स्थापना की थी। जिसके बाद असम के पतबुआसी सत्रा आश्रम में महिलाओं के प्रवेश को वर्जित करने का नियम लागू किया गया।जबकि, 2010 में असम के राज्यपाल जीबी पटनायक ने इस वैष्णव मंदिर के अंदर 20 महिलाओं के साथ प्रवेश कर कर्मकांड और प्रार्थना आदि कर इस नियम को तोड़ा था। लेकिन राज्यपाल के पतबुआसी सत्रा के धार्मिक प्रमुख 'सत्राधिकार' को मनाए जाने के बाद भी इस प्रतिबंध को फिर से लागू कर दिया गया।


अंतत : धार्मिक सभ्यता संस्कृति का देश है भारत।जहां के कण कण में ईस्वर का निवास बताया गया है।हम तो यही कहेंगें कि सभी परम्पराएं और कला उसके लिए है जिसे हम जीने की कला कहते है।किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे ऐसी कोशिस और प्रयास हमें हमेशा करते रहना चाहिए...।।  

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