Saturday 7 November 2015

दीवाली पहले की ही अच्छी थी...!



सकल जगत का तम हर जाए,हर हिंय उजला उजला हो।
सकल जगत हो उजला उजला,तम हर हिंय का जाए हो।।

संदीप कुमार मिश्र: मित्रों समय के साथ त्योहार भी अब नए-नए रुप रंग में मनाए जाने लगे। पहले दीवाली के त्योहार की तैयारीयां महिनो पहले शुरु हो जाती थी।गोलू जहां अपने दीवालीघर को बनाने के लिए मिट्टी इकट्ठा करता था तो वहीं गुडिया अपनी मां का धर की साफ सफाई में हाथ बंटाती थी।मां भी गुडिया के इस बदलाव पर समझ जाती थी कि गुजिया क्या चाह रही है,और कह देती थी की तेरे बापू से कह दिया है कि इस बार गुडिया के लिए सलवार सूट लाना है और गोलू के भी नए कपड़े सिलवाने हैं।मां का इतना कहना था कि गुड़िया फुर्र हो जाती थी और गोलू के साथ ही अपन सखियों के साथ अपनी खुशियों का इजहार करती थी।हर तरफ त्योंहारों की रौनक नजर आ जाती थी।
लेकिन दोस्तों समय बदला तो जरुरतें भी आधुनिक हो गयी। हमारा समाज अब बदल रहा है, सोच भी बदल रही है। साथ ही रीति-रिवाज और त्योहार को मनाने का तरीका भी।ऐसे में भाईयों दीपावली भी अब पहले जैसी नही रही। कितना कुछ बदल गया ना। अब दीवाली की रौनक पर आधुनिकता का रंग चढ़ गया है।

बड़े-बड़े माल और आन लाइन के जमाने में अब तो कपड़े सिलवाने से भी फुर्सत मिल गई।जैसे कपड़े चाहिए,आनलाइन बुक करके मंगवा लिजिए।भई पसंद ना आए तो वापस भी कर दिजिएगा,कोई बात नहीं।कहां पहले कपड़ों का एक थान निकलवाकर कटवाना फिर सिलाई के दर्जी को देना और वो भी थोड़ा लेट हो जाए तो दर्जी की फुटानी-अभी नहीं मिलेंगे,दीवाली के बाद ले जाना,नहीं तो कहीं और देख लो।अब तो हम दीवाली के चंद दिनो पहले मतलब जितने दिनो में आर्डर धर पर आ जाए,आन लाइन बुक कर लेते हैं।ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं पड़ती।जहां पहले हमारे घरों में 'सेव, मठरी, नमकीन के साथ-साथ बरफी, लड्डू और गुलाब जामुन  बना करते थे और गोलू,गुड़िया चुल्हे के आसपास घूमा करते थे।तो वीं अब इस झंझट से भी फूर्सत मिल गई।उस महक से भी फुर्सत मिल गई जो दीवाली आते-आते हर घर में तेल और घी के रुप में महकता था। भई मिठाइयों को बनाने के लिए तो घर की महिलाएं महीनोभर पहले घर के पुरुषों के पीछे पड़ जाया करती थीं,सिर्फ  ये पूछने और जानने के लिए कि इस बार दीवाली पर क्या-क्या बनेगा? दोस्तों अब इस पूछा पाछी से भी फुर्सत मिल गई,क्योंकि खानें में तेल की मात्रा बढ़ा जाएगी तो सोचिए क्या होगा।फैट बढ़ जाएगा..स्कीन जो खराब हो जाएगी,और भी ना जाने क्या क्या.....क्यों,है ना…? तभी तो अब आनलाइन की दुनिया में मिठास की जगह चाकलेट्स और कुर्रकुर्रकुर्रो ने ले ली।  

मित्रों दीवाली में बम पटाखों का बड़ा शौक होता है,क्या बच्चे,बड़े और क्या बुढ़े।छुरछुरी से लेकर अनार,डबल बम,चकरी,पटाखे- पहले पटाखे खरीदने का अलग ही मजा मिलता था। गोलू और गुड़िया महिनो पहले पैसे इकट्ठा करने लगते थे,पटाखे खरीदने के लिए।जब गोलू दीपावली पर ठांय ठांय गोली चलाता था तो उसके अम्मा बाउजी के चेहरे पर खुशियां देखते ही बनती थी। अब तो पाल्यूशन का डर,कचरे का डर,और भी ना जाने किस किस चीज का डर।
कहां तो पहले दीये खुद हाथ से बनाए जाते थे,बदलते समय ने इस मेहनत से भी निजात दिला दी।जी हां दीयों का क्या है,जैसे दिए चाहिए वैसे दीये बाजार में उपलब्ध है,नहीं तो आन लाइन बुक कर लिजिए।चाईना बाजार तो है ही,रंगबिरंगी लड़ियां,लाइटे,सब कुछ तो है बाजार में..क्यों?

मित्रों माता लक्ष्मी की कृपा की हमें हमेशा जरुरत होती है,सब कुछ माता लक्ष्मी की कृपा से ही संभव है।दीवाली पर मां लक्ष्मी को कोई नाराज नहीं करना चाहता।इसलिए लक्ष्मी-गणेश की पूजा बड़े नियम और कायदे से की जाती है।कमल गट्टे से लेकर कमल के फूल तक पूजा की थाली में सब कुछ कायदे से सजा होता।ढ़ेर सारे खील-बताशे, फूल, रंगोली और जगमग दीये।पूजा का मुहूर्त के समय में होना उतना ही जरूरी था जितना परिवार के सारे सदस्यों का पूजा में उपस्थित होना। लेलिन अब तो पंडित भी आनलाइन खोजे जाने लगे हैं,आरती से लेकर पूजा पाठ विधि भी सुलभता से उपलब्ध हो गयी है।जिसके द्वारा आसानी से पूजा पाठ संपन्न की जाने लगी है।

पूजा के बाद जहां घर घर कील बतासे बांटे जाते थे,अपने से बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता था। धिरे धिरे हाय और बाय ने ले लिया। अब तो रिश्तेदारों और पड़ोसियों को प्रसाद नहीं अच्छी तरह पैक किए हुए गिफ्ट्स देने का फैशन आ गया है। जैसे महानुभाव वैसा गिफ्ट,वैसी पैकिंग। ना जाने कहां गए दोस्तों वो दिन,अरे हां एक बात तो बताना भुल ही गया....महंगाई...जी हां ये वही महंगाई है जिसे डायन खाए जात है...।अब तो आमदनी अठन्नी और खर्चा.......कितना आप जानते ही है।दोस्तो क्या आपको लगता नहीं है कि काश लौट आते वही पूराने दिन।जहां अपने अपनो के लिए खुब समय होता था,हर त्योहार अपना सा लगता था,बाजारु सा नहीं।काश लौट आते वो दिन।खैर ज्यादा सेंटी होने की जरुरत नहीं....अच्छे दिनो की दीवाली मनाईए।शुभ दीवाली।।





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